Lebal

Friday, 29 June 2018

वक़्त बदलने में देर कहाँ लगती है

वक़्त बदलने में देर कहाँ लगती है, जहाँ आप खड़े गुरूर कर रहे हैं
कल वहा कोई और खड़ा, गुरूर कर रहा होगा।










पीठ पीछे आप की कोई बात चले तो घबराना मत, 
क्योकि बात उन्हीं की होती है जिनमें कोई बात होती है 













जब एतबार ही किसी से उठ जाए तो फिर, 
अगला बंदा कसम खाएं या ज़हर, फ़र्क नहीं पड़ता 










आंसू वो खामोश दुआएं हैं
जो सिर्फ रब ही सुन सकता है